Inspiring Short Stories (सफल जीवन के सूत्र) | Inspiring Stories | Positive Stories About Life | Good Story in Hindi
तक्षशिला- भारत का प्राचीन व महान शिक्षा केन्द्र! देश- विदेश से विद्यार्थी यहां शिक्षा प्राप्त करने आते थे! पूरे विश्व में तक्षशिला के नाम का डंका बजा करता था! उस दिन तक्षशिला में दीक्षांत समारोह था! उपाधि पाने वाले सभी विद्यार्थी विश्व- प्रांगण में उतरने को लालायित थे! इन्हीं विद्यार्थियों में से एक था- जीवक! उसने तक्षशिला के चिकित्सा शास्त्री के मार्गदर्शन में सात वर्षो तक चिकित्सा विज्ञान पर गहन अध्ययन व शोध किया था! आज शिक्षण अवधि समाप्त होने पर उसके आचार्य उसकी परीक्षा लेना चाहते थे! वे जीवक की व्यवहारिक बुद्धि को जांचना चाहते थे! इसलिए जब जीवक उपाधि ग्रहण करने उनके समक्ष आया, तो उन्होंने उसके हाथ में फावड़ा पकड़ा दिया! बोले- ' तुम्हारी अभी एक परीक्षा शेष हैं! जाओ, तक्षशिला की आठों दिशाओं में जाओ और कोई एक ऐसा पौधा ढूंढ़कर लाओ जिसमें एक भी गुण न हो, जिसका कोई औषधीय मूल्य न हो!'
🔹जीवक आचार्य की आज्ञा पाकर तत्क्षण ऐसे पौधे की खोज में निकल गया! दिन- पर- दिन गुजरते गए! तक्षशिला का चप्पा- चप्पा छान मारा! पर जीवक को सफलता न मिली! यह पहली बार था कि जीवक किसी परीक्षा में अनुतीर्ण होने की कगार पर आ खड़ा हुआ था! मायूस स्वर में उसने अपने आचार्य से कहा- ' गुरुवर, मुझे क्षमा करें! मै आपकी आज्ञा पूरी नहीं कर सका! मुझे लाख प्रयत्न करने पर भी कोई ऐसा पौधा नहीं मिला, जो गुण रहित हो! हर पौधे में कोई- न- कोई औषधीय गुण दिखाई दे ही जाता है! मै आपकी इस परीक्षा में....' इससे पहले कि जीवक अपना वाक्य पूरा करता, आचार्य ने उसे उपाधि विभूषित करते हुए कहा- ' अनुत्तीर्ण नहीं, उत्तीर्ण हुए इस परीक्षा में भी, वत्स!' यह दृष्टांत जीवन में सफल होने का एक मुख्य सूत्र देता हैं! वह सूत्र हैं- सकारात्मक दृष्टि! जब आपकी दृष्टि हर वस्तु व व्यक्ति में गुण देखना सीख जाती हैं, तो आप गुणी हो जाते हैं! आप हर परिस्थिति में जब अच्छाई ढूंढने की कला जान जाते हैं, तो आप अच्छे बन जाते हैं! आपका गुणी और अच्छा होना आपको सफलता के बहुत नजदीक ले जाता है!
🔹जीवक आचार्य की आज्ञा पाकर तत्क्षण ऐसे पौधे की खोज में निकल गया! दिन- पर- दिन गुजरते गए! तक्षशिला का चप्पा- चप्पा छान मारा! पर जीवक को सफलता न मिली! यह पहली बार था कि जीवक किसी परीक्षा में अनुतीर्ण होने की कगार पर आ खड़ा हुआ था! मायूस स्वर में उसने अपने आचार्य से कहा- ' गुरुवर, मुझे क्षमा करें! मै आपकी आज्ञा पूरी नहीं कर सका! मुझे लाख प्रयत्न करने पर भी कोई ऐसा पौधा नहीं मिला, जो गुण रहित हो! हर पौधे में कोई- न- कोई औषधीय गुण दिखाई दे ही जाता है! मै आपकी इस परीक्षा में....' इससे पहले कि जीवक अपना वाक्य पूरा करता, आचार्य ने उसे उपाधि विभूषित करते हुए कहा- ' अनुत्तीर्ण नहीं, उत्तीर्ण हुए इस परीक्षा में भी, वत्स!' यह दृष्टांत जीवन में सफल होने का एक मुख्य सूत्र देता हैं! वह सूत्र हैं- सकारात्मक दृष्टि! जब आपकी दृष्टि हर वस्तु व व्यक्ति में गुण देखना सीख जाती हैं, तो आप गुणी हो जाते हैं! आप हर परिस्थिति में जब अच्छाई ढूंढने की कला जान जाते हैं, तो आप अच्छे बन जाते हैं! आपका गुणी और अच्छा होना आपको सफलता के बहुत नजदीक ले जाता है!
Om Shanti
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